कूलाम का नियम Coulomb's law -
कूलाम के प्रयोगों के आधार पर कूलाम का नियम इस प्रकार है -
दो बिंदु आवेशों के मध्य लगने वाला आकर्षण या प्रतिकर्षण बल उन दो आवेशों के परिमाण के गुणनफल के अनुक्रमानुपाती तथा उनके बीच की दूरी के व्युत्क्रमानुपाती होता है। दो आवेशों के मध्य लगने वाला बल उन आवेशों को मिलाने वाली रेखा के अनुदिश लगता है। इसे कूलाम का व्युत्क्रम वर्ग का नियम भी कहा जाता है।कूलॉम के नियम का गणितीय निरूपण:
मान लीजिए कि दो आवेश q1 और q2 r दूरी पर स्थित हैं, तो उनके बीच आकर्षण या प्रतिकर्षण का बल F है। आवेश का बल दोनों आवेशों के परिमाण के गुणनफल के समानुपाती होता है। अर्थात
तथा कार्यरत बल दोनों आवेशों के आवेशों के मध्य की दूरी के वर्ग के व्युत्क्रमानुपाती होता है।
माना कि Q1 बिंदु आवेश और Q2 हैं जो एक दूसरे से और दूरी पर स्थित है, तब कूलाम के नियम के अनुसार-
F∝ Q1Q2 तथा F ∝ 1 / r2
या F ∝ Q1Q2 / r2
F = a Q1Q2 / r2
यहां एक a नियतांक है, जिसका मान आवेश, दूरी, बल के मात्रकों एवं आवेशों के बीच की दूरी पर निर्भर करता है।
नियतांक a का मान 9.0 x 109 न्यूटन x मीटर 2 / कूलाम 2 होता है।
S। पद्धति में- F = 9.0 x 109 Q1Q2 / r2
F = 1 / 4πε0 Q1Q2 / r2 न्यूटन
C.G.S पद्धति में - बल का मात्रक डायन, दूरी का मात्रक सेंटीमीटर तथा आवेश का स्थैत-कूलाम है । तब नियतांक a का मान 1 होता है।
F = Q1Q2 / r2 डायन
कूलाम के नियम की सीमाएं- Limitations of Coulombs’s law-
1. कूलाम का नियम केवल बिंदु आवेशों के लिए सत्य है इस नियम के द्वारा आवेशों के वितरण सिद्धांत में समाकलन विधि का प्रयोग नहीं किया जा सकता है।
2. गतिशील आवेशों के मध्य लगने वाले बलों की गणना कूलाम के नियम से नहीं की जा सकती है, क्योंकि कूलाम का नियम केवल विराम अवस्था में स्थित आवेशों के लिए ही शब्द है।
3. कूलाम का नियम आवेशों के मध्य अत्याधिक दूरी (कि.मी.) से अत्यंत अल्प 10-15 मी. दूरी तक के लिए ही सकता है।
कूलाम के नियम का महत्व- Importance of Coulomb's law
- कूलाम का नियम एक प्रायोगिक नियम है, इस नियम को प्रयोगों के आधार पर प्राप्त किया गया है।
- दो बिंदु आवेशों के मध्य लगने वाले बल पर उनके पास स्थित अन आवेशों की उपस्थिति का कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।
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