वैद्युत आवेश - Electric Charge
वैद्युत आवेश किसी पदार्थ का वह गुण है, जिस कारण वह वैद्युत एवं चुम्बकीय प्रभाव उत्पन्न करता है या इनका अनुभव करता है। विद्युत आवेश एक अदिश भौतिक राशि है।
वैद्युत आवेश के प्रकार -
वैद्युत आवेश दो प्रकार का होता है:-
धन आवेश (Positive Charge):- किसी वस्तु पर धन आवेश, उसकी सामान्य अवस्था से इलेक्ट्रॉनों की कमी को प्रदर्शित करता है।
ऋण आवेश (Negative Charge):- किसी वस्तु पर ऋण आवेश, उसकी सामान्य अवस्था से इलेक्ट्रॉनों की अधिकता को प्रदर्शित करता है।
वैद्युत आवेशों के गुण (Properties of Electric Charges):-
विद्युत् आवेशों में सजातीय आवेशों के बीच प्रतिकर्षण बल तथा विजातीय आवेशों के बीच आकर्षण बल कार्य करता है। यह आवेश का एक महत्वपूर्ण गुण है।
आवेशों का क्वान्टीकरण (Quantization of Charges):-
आवेशों का क्वान्टीकरण किसी आवेशित वस्तु पर आवेश एक न्यूनतम आवेश (e) के सरल गुणक के रूप में ही हो सकता है अर्थात् विद्युत आवेश अनिश्चित रूप से विभाजित नहीं हो सकता।
इसलिए, Q = ± ne n, n = 12,3,...
आवेशों का संरक्षण (Conservation of Charges):-
विद्युत आवेश अनिश्चित रूप से विभाजित नहीं हो सकता. इसलिए, Q = ± ne n, n = 12,3,... आवेश संरक्षण के सिद्धांत के अनुसार, आवेश को न तो उत्पन्न किया जा सकता है और न ही नष्ट किया जा सकता है. बल्कि केवल एक वस्तु से दूसरी वस्तु पर स्थानांतरण संभव है. आवेश सरंक्षण का सिद्धांत कहलाता है।
किसी वस्तु पर दिए गए अलग-अलग आवेशों का बीजगणितीय योग उस वस्तु का कुल आवेश होता है. आवेश और द्रव्यमान सदैव सम्बद्ध रहते हैं, इसलिए आवेश द्रव्यमान से अलग नहीं हो सकता, जबकि द्रव्यमान आवेश से अलग हो सकता है।
स्थिर अवस्था में आवेश केवल वैद्युत क्षेत्र को उत्पन्न करता है; एकसमान गति में आवेश वैद्युत और चुम्बकीय क्षेत्र दोनों को उत्पन्न करता है; और त्वरित गति में आवेश वैद्युत और चुम्बकीय क्षेत्र दोनों को उत्पन्न करता है.
वैद्युत आवेश के मात्रक (Units of Electric Charge)
आवेश का SI मात्रक ‘ ऐम्पियर सेकण्ड ‘ या ‘ कूलॉम ‘ है। इसके अन्य छोटे मात्रक मिलीकूलॉम (mC) या माइक्रोकूलॉम (μC) हैं। आवेश का (CGS) मात्रक स्टैट कूलॉम (stat coulomb) या स्थिर वैद्युत मात्रक है। आवेश का वैद्युत चुम्बकीय मात्रक ऐब कूलॉम है।
1 कूलॉम 3 ×109 स्टैट कूलॉम ऐब =1/10`कूलॉम
आवेशन की विधियाँ (Methods of Charging)
किसी वस्तु को निम्न विधियों द्वारा आवेशित किया जा सकता है:-
(a) घर्षण द्वारा (By Friction)
जब दो वस्तुओं को आपस में रगड़ते हैं तो उनके मध्य इलेक्ट्रॉनों के स्थानान्तरण के कारण, ये वस्तुएँ आवेशित हो जाती हैं। दोनों वस्तुओं पर बराबर तथा विपरीत प्रकार के आवेश उत्पन्न होते हैं।
उदाहरण:
(i) एक काँच की छड़ को रेशम के कपड़े से रगड़ने पर रेशम का कपड़ा ऋणावेशित होता है और काँच की छड़ धनावेशित होती है.।
(ii) ऐबोनाइट (ebonite rod) की छड़ को ऊन से रगड़ने पर ऐबोनाइट की छड़ ऋणावेशित तथा ऊन धनावेशित हो जाती है।
(b) स्थिर वैद्युत प्रेरण द्वारा (By Electro Static Induction)
यदि एक आवेशित वस्तु को किसी अनावेशित वस्तु के पास लाएँ, तो अनावेशित वस्तु की पास वाली सतह पर विपरीत प्रकृति का आवेश होता है और दूर वाली सतह पर समान प्रकृति का आवेश उत्पन्न होता है।
इस घटना को स्थिर वैद्युत प्रेरण कहा जाता है। प्रेरण विधि द्वारा वस्तु पर प्रेरित आवेश की अधिकतम मात्रा Q=Q[1-1/K] हो सकती है। जहाँ Q, प्रेरक वस्तु पर आवेश तथा K, अनावेशित वस्तु का परावैद्युतांक है।
(c) चालन द्वारा (By Conduction)
जब किसी आवेशित चालक को किसी अनावेशित चालक के संपर्क में लाया जाता है, तो दोनों चालकों पर समान प्रकृति का आवेश फैलता है, इसे सम्पर्क द्वारा आवेशन कहा जाता है।