थार्नडाइक का अधिगम का सिद्धांत- Theory of learning - Ischool24
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थार्नडाइक का अधिगम का सिद्धांत- Theory of learning

अधिगम का सिद्धांत- Theory of learning


अधिगम का सिद्धांत अलग-अलग मान्यताओं के अनुसार मनोवैज्ञानिकों के अनुरूप विभिन्न के सिद्धांत, बाल मनोविज्ञान के अंतर्गत बालक के व्यवहार का  अध्ययन किया जाता है जिसमें बालक में होने वाले व्यवहार में परिवर्तन को अधिगम कहा जाता है। 

अधिगम के सिद्धांत को प्रमुख रूप से व्यवहारवादी सिद्धांत, व्यवहारवादी साहचर्य सिद्धांत और  संज्ञानवादी सिद्धांत के अंतर्गत विभाजित किया गया है। 

अधिगम के सिद्धांत- 

  1. प्रयास व भूल का सिद्धांत 

  2. अंतर्दृष्टि  या सूझ का सिद्धांत

  3. पुरातन अनुबंधन का सिद्धांत

  4. हल का पुनर्बलन सिद्धांत

  5. सक्रिय अनुबंधन का सिद्धांत

  6. अल्बर्ट बंडूरा का सामाजिक अधिगम का सिद्धांत

  7.  टॉलमैन का अधिगम का सिद्धांत


थार्नडाइक का अधिगम का सिद्धांत - प्रयास व भूल का सिद्धांत


प्रयास व भूल का सिद्धांत- सर्वप्रथम प्रयास व भूल का सिद्धांत के प्रतिपादक अमेरिकी मनोवैज्ञानिक E. l. Thorndike को माना जाता है। थार्नडाइक ने अपनी बुक एजुकेशन साइकोलॉजि पर प्रथम एवं भूल का सिद्धांत का उल्लेख किया जिसे उद्दीपन अनुक्रिया का सिद्धांत कहा जाता है।  प्रयास एवं भूल के सिद्धांत को ही  उद्दीपन अनुक्रिया का सिद्धांत माना गया। 

थार्नडाइक ने इस सिद्धांत का प्रतिपादन एक भूखी बिल्ली पर किया उस भूखी बिल्ली को पिंजरे पर बंद करके एक प्रयोग किया जिसके अंतर्गत इन्होंने पिंजरे  में  एक लीवर तैयार किया गया जिसे बिल्ली द्वारा दबाने पर उसे भोजन प्राप्त हो जाता था।  

बिल्ली के द्वारा इस अनुप्रिया को बार-बार दोहराने पर हर बार बिल्ली को भोजन मिलता  भोजन को उद्दीपक माना गया, और  बिल्ली के द्वारा बार-बार लीवर के दबाने के कार्य को अनुक्रिया। 

इस तरह से थार्नडाइक के अधिगम सिद्धांत के अनुसार उद्दीपन अनुक्रिया का संबंध स्थापित हो गया जिसके अंतर्गत बिल्ली के द्वारा किए गए कार्य को अनुक्रिया यह प्रतिक्रिया और भोजन को उद्दीपक माना गया और इसे उद्दीपन अनुक्रिया का सिद्धांत कहा गया। 

प्रयास व त्रुटि का सिद्धांत  अधिगम सिद्धांत  का महत्व 


प्रयास व त्रुटि के सिद्धांत शिक्षा मनोविज्ञान की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है, इस सिद्धांत के अनुसार किसी भी बालक को बार-बार कोई भी कार्य करा दें उसके अधिगम में सुधार किया जा सकता है इस सिद्धांत की कुछ उपयोगिता और वहां इस प्रकार हैं-

  1. बालकों  अधिगम के लिए रुचि जागृत करने के लिए सहायक है। 

  2. बालकों को आत्मनिर्भर और आशावादी बनाने में सहायक। 

  3. यह सिद्धांत मंदबुद्धि बालकों के लिए अत्यंत उपयोगी है। 

  4. बालक के द्वारा किए गए अनुभवों की उपयोगिता समझाई जा सकती है। 

  5.  गंभीर चिंतन वाले विषयों के अधिगम के लिए सहायक। 


अधिगम के सिद्धांत के अंतर्गत सीखने के प्रमुख 2 नियमों का उल्लेख किया जो कि इस प्रकार हैं-

  1. सीखने का मुख्य नियम

  2. सीखने का  गौण नियम


1. सीखने का मुख्य नियम-


सीखने का मुख्य सिद्धांत के अंतर्गत थार्नडाइक ने अपने अधिगम सिद्धांत में तीन नियमों के  का उल्लेख किया-

  1. तत्परता का नियम

  2. अभ्यास का नियम

  3. प्रभाव का नियम


1. तत्परता का नियम- सीखने के मुख्य नियम समय से यह पहला नियम यह प्रदर्शित करता है कि बालक तब तक नहीं सीख सकता जब तक वह तत्पर ना अर्थात बालक को अधिगम के दृष्टिकोण से कुछ तभी अधिगम कराया जा सकता है जब वह आंतरिक रूप से कुछ सीखने में रुचि रखता हो।  और अधिगम विषयवस्तु बालक के स्तर के अनुरूप हो। 

2. अभ्यास का नियम- सिद्धांत के अनुसार बालक के अधिगम के अंतर्गत सिखाए गए किसी भी चीज का बार-बार दोहराना अनिवार्य है इस क्रिया के माध्यम से बालक के  अंदर उद्दीपन अनुक्रिया बंधन शक्तिशाली होते जाता है जिससे बालक को सिखाया गया कार्य अधिगम स्थाई हो पाता है। 

3. प्रभाव का नियम- अधिगम क्रिया के दौरान बालक को सरल सहज व प्रभावी माध्यम से अधिगम विषय वस्तु को प्रस्तुत करना चाहिए जिससे बालक के अंदर संतोष की भावना जागृत हो और सकारात्मक व्यवहार के अंतर्गत बालक उस चीज को सीख पाए। अधिगम के दौरान  बालक यदि सुखद अनुभव करता है. तो अधिगम अधिक सफल होगा। 

2. सीखने का  गौण नियम-


थार्नडाइक के द्वारा प्रतिपादित प्रथमा भूल का सिद्धांत सीखने के नियम के अंतर्गत आधारित है,  इस नियम के अंतर्गत अभ्यास दोहराना, पुनरावलोकन आदि को  अधिगम के अंतर्गत महत्व दिया गया है। 

इस नियम के अंतर्गत कुछ नियम इस प्रकार हैं-

  1. बहु अनुक्रिया का नियम-

  2. आंशिक क्रिया का नियम

  3. समानता का नियम

  4. सहस्त्र परिवर्तन का नियम

  5. मानसिक स्थिति का नियम


 

  1. बहु अनुक्रिया का नियम- इस नियम के अनुसार व्यक्ति अपनी समस्याओं को सुलझाने के लिए विभिन्न प्रकार के तरीकों का प्रयोग करता है बहुत सारे ऐसे प्रतिक्रियाएं करता है जब तक उस समस्या का हल मिल ना जाए जब समस्या हल होने के बाद व्यक्ति के अंतर्गत संतोष मिलता है तभी समस्या का समाधान माना जाता है। इस अनुक्रिया के माध्यम से भी उसके अंतर्गत अधिगम प्रक्रिया होती है। 


 

  1. आंशिक क्रिया का नियम- इस नियम के अनुसार किसी भी समस्या के हल के लिए अंतर्दृष्टि सिद्धांत का प्रयोग किया जाता है और आर्थिक क्रिया के माध्यम से समस्या का हल ढूंढा जाता है। 


 

  1. समानता का नियम- इस नियम के अनुसार किसी समस्या के प्रस्तुत होने पर पूर्व अधिगम में प्राप्त अनुभव व परिस्थितियों में समानता होने पर नए अधिगम में सहायता प्राप्त होती है जिसके वजह से अधिगम स्थानांतरण होने में मदद मिलती है। 


 

  1. साहचर्य परिवर्तन का नियम- इस नियम के अनुसार अधिगम के दौरान साहचर्य वातावरण का प्रभाव पड़ता है,  थार्नडाइक अधिगम नियम के अनुसार- जैसे कुत्ते के मुंह से भोजन को देखकर लार टपकना स्वाभाविक क्रिया है परंतु कुछ समय बाद भोजन  भोजन के बर्तन को ही देखकर लार टपकने लगती है। इसे ही साहचर्य परिवर्तन का का नियम कहा गया है। 


 

  1. मानसिक स्थिति का नियम-  जब बालक किसी भी कार्य को सीखने के लिए मानसिक रूप से तैयार होता है तो वह  उस कार्य को आज जल्दी सीख लेता है और अधिगम प्रक्रिया बहुत अधिक प्रभावी होती है लेकिन बालक मानसिक रूप से तैयार नहीं होता जब तो  बालक को अधिगम नहीं कराया जा सकता। 


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