नि:शुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा अधिकार अधिनियम 2009
शिक्षा का अधिकार या आंग्रेजी मे (Right to education), Right of Children to Free and Compulsory Education Act को भारत के संविधान के 86वाँ संशोधन से अनुच्छेद 21(A) के द्वारा शिक्षा को मौलिक अधिकार का दर्जा प्रदान किया गया। इस संशोधन के क्रियान्वयन के लिए शिक्षा का अधिकार विधेयक 2009 पास हुआ और इसे राष्ट्रपति के द्वारा अगस्त 2009 लागू किया गया। जिसके फलस्वरूप भारत में 1 अप्रैल 2010 से इस कानून को देश में लागू किया गया।
Right to education in india, को भारत के पूरे राज्यों में लागू किया गया तथा सफल रूप से अभी तक इस अधिनियम के द्वारा विद्यालय में शैक्षिक कार्यों का किया किया जा रहा है। शिक्षा के अधिकार को मानव मूलभूत अधिकार का स्थान दिया गया है जिसके अंतर्गत सभी नागरिकों को शिक्षित होने के अधिकार प्रदान किया गया। ऐसा माना जाता है कि एक शिक्षित नागरिक स्वयं का विकास करके अपने देश के विकास को आगे बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करता है । शिक्षा ही वह संसाधन है जिसके द्वारा एक मानव गरिमा प्रदान करती है ऐसा कहा जाता है कि बिना शिक्षा के मानव पशु सामान माना जाता है।
Right to education 2009 के मुख्य बिन्दु,जो परीक्षा के दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण हैं इनका वर्णन किया गया है इसे जरूर पढ़ें और अपने दोस्तों के साथ भी जरूर शेयर करें।
Note:- इस पोस्ट को पढ़ने के बाद नीचे MCQ TEST जरूर दें ।
-:मुख्य बिन्दु:-
इस अधिनियम के अंतर्गत निम्नलिखित मुख्य बिंदुओं का उल्लेख किया गया है जो कि इस प्रकार हैं-
- यह अधिनियम प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के संबोधन से अस्तित्व में आया प्रधानमंत्री के संबोधन से अस्तित्व में आने वाला भारत का पहला अधिनियम है ।
- भारत शिक्षा को मौलिक अधिकार के रूप में लागू करने वाला विश्व का 135 वां देश बना।
- इस अधिनियम के अंतर्गत 6 से लेकर 14 वर्ष तक के बच्चों को निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का मौलिक अधिकार के रूप प्रावधान समाहित किया गया जिसका उल्लेख भाग 3 में अनुच्छेद 21 (क) के अंतर्गत किया गया है।
- भारत में इस अधिनियम के अंतर्गत बुनियादी ढांचे को मजबूत करने पर बल दिया गया है।
- 6 से 14 वर्ष तक के बालकों को निशुल्क एवं अनिवार्य शिक्षा का प्रावधान भी इस अधिनियम के अंतर्गत आता है।
- कक्षा 1 से 8 तक किसी भी बालक को फेल नहीं किया जा सकता है।
- किसी भी बालक या बालिका को शारीरिक दंड या मानसिक दंड को प्रबंधित किया गया है।
- कोई भी बालक प्रारंभिक शिक्षा पूरी करने से पूर्व बना तो किसी कक्षा में रोका जाएगा ना ही उसे विद्यालय से बाहर निकाला जाएगा।
- इस अधिनियम के अंतर्गत बाल केंद्रित शिक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया। तथा बच्चे को डर चोट और चिंता मुक्त शिक्षा प्रदान किया जाना चाहिए।
- प्रारंभिक शिक्षा का माध्यम मातृभाषा के अंतर्गत होना चाहिए।
- विद्यालय प्रबंधन समिति में 50% महिलाओं का स्थान आरक्षित किया गया।
- इस अधिनियम के तहत केंद्र व राज्य सरकार के खर्चों का अनुपात 65 : 35 तथा पूर्वोत्तर राज्यों के लिए 90 :10 है।
- शिक्षा गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए ।
- सभी विद्यालयों में आर्थिक आधार पर कमजोर वर्ग के बच्चों के लिए 25% सीटों का आरक्षण का प्रावधान किया गया जिसके अंतर्गत निजी विद्यालयों को भी शामिल किया गया है।
- बिना मान्यता के कोई भी विद्यालय संचालित नहीं किया जा सकता।
इस अधिनियम के अंतर्गत स्कूलों के लिए कुछ मापदंड निर्धारित किए गए जो इस प्रकार हैं-
इसे भी पढ़ें:- Most Imp Question of Pyscholgy
स्कूलों के बारे में प्रावधान:-
- सभी बालक बालिकाओं को इस अधिकार के तहत उनकी शिक्षा व्यवस्था के लिए स्कूल को ही उपेक्षित किया गया है।
- प्राथमिक विद्यालय 1 किलोमीटर के अंतर्गत और उच्च प्राथमिक विद्यालय 3 किलोमीटर के अंतर्गत अनिवार्य रूप से उपलब्ध होना चाहिए।
- उच्च प्राथमिक स्तर पर प्रत्येक कक्षा के लिए एक शिक्षक निर्धारित किया गया।
- शिक्षक शिक्षार्थियों के अनुपात के अनुसार प्रत्येक कक्षा के लिए निर्धारित किया गया, इसके अंतर्गत इसका अनुपात 30:1 रखा गया। अर्थात हर 30 छात्रों के के बीच एक शिक्षक अनिवार्य रूप से होना चाहिए।
नीचे दिए गए तालिका में छात्र और शिक्षक का अनुपात प्रदर्शित किया गया है।
- स्कूल में खेल का मैदान और खेलकूद सामग्री अनिवार्य रूप से होना चाहिए।
- स्कूल के लिए कार्य घंटों में निर्धारित किया गया।
- विद्यार्थियों की भर्ती के लिए किसी भी प्रकार का परीक्षण टेस्ट प्रतिबंधित किया गया।
- इस अधिनियम के अंतर्गत 25% सीट बालकों के लिए आरक्षित अनिवार्य किया गया जिसके अंतर्गत उस क्षेत्र के वंचित और पिछड़े वर्ग के बालक बालिकाओं को यह सीट निर्धारित किया गया है।
शिक्षकों की भूमिका व उत्तरदायित्व:-
इस अधिनियम के अनुसार कुछ प्रावधान शिक्षकों के लिए निर्धारित किए गए जो निम्नलिखित हैं-
- शिक्षकों को प्राकृतिक विपदा, आम चुनाव तथा जनगणना को छोड़कर किसी भी प्रकार के गैर शैक्षिक कार्य का प्रभार नहीं दिया जाएगा।
- कोई भी शासकीय शिक्षक प्राइवेट ट्यूशन का संचालन नहीं कर सकता है।
- प्रत्येक शिक्षक के लिए अकादमी जिम्मेदारियां निर्धारित की गई हैं।
- शिक्षक की अकादमी तथा प्रशिक्षण की योग्यताएं केंद्रीय सरकार द्वारा तय की गई संस्था,एनसीटीई द्वारा निर्धारित मापदंड के अनुसार शिक्षक की योग्यताएं पूर्ण रूप से पूरी होनी चाहिए।
- प्रत्येक शिक्षक विद्यालय के द्वारा निर्धारित किए गए समय पर नियमित रूप से विद्यालय आएंगे और स्कूल में शैक्षिक कार्य ही करेंगे।
- पाठ्यक्रम का संचालन तथा समापन निर्धारित किए गए किए गए सीमा के अंतर्गत अनिवार्य रखा गया है।
- न्यूनतम कार्य दिवस
प्राथमिक स्तर पर- 200 दिवस
उच्च प्राथमिक स्तर पर- 220 दिवस
- शैक्षिक घंटे
प्राथमिक स्तर पर- 800 घंटे
उच्च प्राथमिक स्तर पर- 1000 घंटे
- शिक्षक के प्रत्येक सप्ताह में न्यूनतम कार्य के घंटे 45 होना अनिवार्य है।