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अधिगम के सिद्धांत Adhigam ke siddhant

अधिगम के सिद्धांत - Adhiham ke sidhhant

अधिगम के व्यवहार वादी सिद्धांत-   

अधिगम के व्यवहारवादी सिद्धांत को को संबंधवादी सिद्धांत भी कहा जाता है, इस सिद्धांत के अंतर्गत सीखने की प्रक्रिया को उद्दीपक व अनुक्रिया के मध्य एक संबंध स्थापित करके, इस सिद्धांत को स्पष्ट किया गया है। 

अधिगम के संज्ञानात्मक सिद्धांत-  

अधिगम के संज्ञानात्मक सिद्धांत के अंदर संज्ञानात्मक सिद्धांत की प्रक्रिया में  उद्देश समझ सूझ की भूमिका पर बल दिया गया है।  मनोविज्ञान के अंतर्गत जीन पियाजे के संज्ञानात्मक सिद्धांत का प्रमुख स्थान माना जाता है। 

अधिगम के संबंधवादी सिद्धांत- 

अधिगम के संबंधवादी सिद्धांतों के अंतर्गत अनेक वैज्ञानिकों ने अपने सिद्धांतों का प्रतिपादन किया जैसे- थार्नडाइक पावलव हल सकिन्नर गुथरी व थार्नडाइक द्वारा प्रतिपादित विचार प्रणाली को संयोजनवाद के नाम से भी जाना जाता है, जबकि वॉटसन, पावलाव तथा सकिन्नर की प्रणाली को अनुबंधन व प्रतिबद्धता का नाम दिया जाता है। 

अंतर्दृष्टि अधिगम के सिद्धांत- 

अंतर्दृष्टि अधिगम के सिद्धांत या जिसे सूझ का सिद्धांत कहा जाता है इस के प्रतिपाद कोलहर वर्दीमर और कोफ्का हैं , इन्होंने केनरी द्वीप में सुल्तान नामक चिंपैंजी पर इस सिद्धांत का परीक्षण किया। 

अधिगम के प्रमुख सिद्धांत- 

  1.  प्रयास एवं भूल का सिद्धांत प्रतिपादक थार्नडाइक

  2. सक्रिय अनुबंधन का सिद्धांत  स्केनर

  3. अंतर्दृष्टि का सिद्धांत  सीएल हल

  4. अल्बर्ट बंडूरा का सामाजिक अधिगम का सिद्धांत  अल्बर्ट बंडूरा

  5. पुरातन अनुबंधन का सिद्धांत पवलोव 

  6.  हल्का विधिक सिद्धांत हल

  7. टोलमैन का चिन्ह अधिगम का सिद्धांत

अधिगम के पठार का अर्थ-  -

अधिगम पठार से आशा है कि जब सीखने की गति एक समान नहीं होती है सीखना प्रारंभ करने के पश्चात कुछ समय बाद सीखने की प्रगति  धीरे हो जाती है जिसके वजह से जो वक्र बनता है पठार नुमा बनता है इसलिए इसे अधिगम का पठार कहा जाता है। 

अधिगम वक्र

अधिगम एक गतिशील प्रक्रिया है,अधिगम वक्र के द्वारा यह प्रदर्शित किया जाता है कि व्यक्ति की सीखने की गति हर समय एक समान नहीं होती है।  सीखने की गति हर समय में अंतर होता है अभी सीखने की गति तेज और कभी मंद । 

यदि सीखने की गति को ग्राफ पेपर पर चिन्हित किया जाए तो एक रेखा बनती है, जिसे अधिगम वक्र कहा जाता है।

अधिगम वक्र के प्रकार-  सीखने के आधार पर अधिगम वक्र को मुख्य चार प्रकार से विभाजित किया गया है, जो कि इस प्रकार हैं- 

  1. सरल रेखीय वक्र 

  2. उन्नतोदर वक्र 

  3. नतोदर वक्र  

  4. मिश्रित वक्र 

उपरोक्त अधिगम वक्र के माध्यम से सीखने की मात्रा  सीखने की गति और उन्नति की सीमाएं आदि का परीक्षण किया जा सकता है। 

  1. सरल रेखीय वक्र- जब सीखने की क्रिया सदैव एक समान नहीं होती है और सीखने में कोई प्रगति सदैव सम्मान नहीं होता है, इस तरह के अधिगम को सरल रेखीय वक्र के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। 

  2. उन्नतोदर वक्र- प्रारंभ में सीखने की गति तीव्र होती है लेकिन कुछ समय पश्चात प्रगति  प्रगति की गति मंद हो जाती है।  इस वक्त में प्राप्त चाप की अंतिम भाग में पठार की आकृति बनती है।  शारीरिक कौशल को सीखने में मुख्यतः इस प्रकार के वक्र बनते हैं। 

  3. नतोदर वक्र -जब अभ्यास के कारण विषय वस्तु सरल हो जाती है जिसके वजह से सीखने की गति भी तीव्र हो जाती है इसे धनात्मक त्वरित वक्र भी कहा जाता है। 

  4. मिश्रित वक्र- उन्नतोदर वक्र व नतोदर वक्र को जब एक साथ मिला दिया जाता है तो मिश्रित वक्र बनता है, प्राइस के बीच बीच में पठार बनते हैं इसमें कभी देखने की प्रगति एकदम धीरे और कभी तीव्र होती है, इसलिए इसे S आकृति का वक्र भी कहा जाता है। 

अधिगम का पठार का अर्थ-  अधिगम पठार से आशा है कि जब सीखने की गति एक समान नहीं होती है सीखना प्रारंभ करने के पश्चात कुछ समय बाद सीखने की प्रगति  धीरे हो जाती है जिसके वजह से जो वक्र बनता है पठार नुमा बनता है इसलिए इसे अधिगम का पठार कहा जाता है। 

अधिगम पठार के कारण-  अधिगम पठार बनने के कई कारण होते हैं  उनमें से कुछ कारण इस प्रकार है। 

अधिगम पठार बनने के कई कारण होते हैं  उनमें से कुछ कारण इस प्रकार है। 

  1. सीखने की विषय वस्तु का अधिगमकर्ता  के क्षमता से अधिक जटिल होना। 

  2. सीखने की परिस्थिति में बदलाव होना। 

  3. मनोदिशा में बदलाव होना। 

  4. सीखने की सामग्री में रुचि ना लेना

  5. शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य ठीक न होना

  6. आदतों में परिवर्तन होना

अधिगम पठारों का निराकरण-

अधिगम का पठार बनाम पालक के सीखने के लिए कभी-कभी बहुत ज्यादा सीखने को प्रभावित करता है अतः इसके निराकरण के लिए निम्न बिंदुओं पर ध्यान में रखकर अधिगम पठार के दोष को दूर किया जा सकता है। 

  1. सीखने की विधि में परिवर्तन करके

  2. शारीरिक दुर्बलता दूर करके

  3. वातावरण में परिवर्तन करके

  4. सीखने की सामग्री को अधिक गहराई तक समझा कर

  5. आदतों में परिवर्तन करके

  6. पुनर्बलन या प्रोत्साहन  देकर

  7. प्रेरणादायक उदाहरण प्रस्तुत करके

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